प्रथम पग – First Step (FREE ONLINE COACHING FOR THE STUDENTS OF CLASS – Xth & XIIth) 

प्रिय दोस्तों मैं Sandeep Gupta – Submariner, Indian Navy (Retd.), आपसे चन्द चीजें Share करना चाहता हॅू। मेरा जन्म 02 Oct 1972 में देहरादून में एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था। बचपन में ही माताजी का स्वर्गवास हो गया । इस कारण बचपन बड़ी कठिनाईयों में बीता तथा जब में 13 – 14 साल का था तभी से अपनी पढाई का खर्चा उठाने के लिये काम भी करना पड़ा। मैने आरम्भिक पढ़ाई के साथ-साथ कई काम भी किये, जिसमें छोटी-मोटी नौकरी, बल्ब फैक्टरी में, किराने की दुकान पर, सैल्समैन की जाॅब एवंम अपने स्वंय की काॅमिक्स की शाप शामिल थी। परन्तु कभी न हार मानने के जज्बे एवंम जिन्दगी के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण की वजह से किसी भी कठिनाई को सहने में मुझे कभी कोई दिक्कत, दुविधा नहीं हुई। मैने 12वीं तक की पढ़ाई अपनी खुद के बलवूते पर की, उस समय मुझे नौकरी की अत्यन्त आवश्यकता थी अतः मैने NDA, Indian Navy, Army लिये प्रयास किया अतः 02 July 1990 को मेरा चयन भारतीय नौसेना में हो गया। यह अवसर मेरे लिये वरदान साबित हुआ। Government Job मिलने से मेरी काफी समस्यायें खत्म हुई। मैंने Indian Navy में शामिल होकर Submariner Join करने का लक्ष्य चुना क्योंकि मैनें सुन रखा था कि Submarine Arm सभी सशस्त्र सेनाओं में सबसे कठिन चुनौती है तथा इसमें कुछ अलग से भी Allowance मिलता है। चुनौतियां मुझे बचपन से ही पसन्द थी। तथा आर्थिक स्थिति बेहद खराब होने के कारण Extra Income की मुझे हमेशा से ही जरूरत थी, क्योंकि मुझे अपनी Sisters की शादियां भी करनी थी। Indian Navy की जाॅब मैने 31 July 2005 तक की, तब मैनें VRS लेकर Pension के साथ Indian Navy ल को अलविदा कहा। क्योंकि आगे का मकसद मुझें “Doon Defence Academy” के रूप में मिल चुका था।


Dear Friends, I, Sandeep Gupta – Submariner, Indian Navy (Retd.), wants to share with you the story of my life. On 2nd Oct 1972 I was born into a middle class family in Dehradun. I was too young when my mother left for the heavenly abode because of which I had to face many hardships in my earlier days. In order to manage my expenses, I had to take up a job at an age of 13. Along with my initial studies I did all sorts of works which included working in a bulb factory, a grocery store, as a salesman as well as working in our own comics shop. But the things that gave me immense strength while facing all the difficulties coming my way were the spirit of never giving up and my positive outlook towards life. I completed my schooling on my own and that was the time when I needed a job so badly that keeping that urge in mind I tried for NDA, Indian Army and Indian Navy and as a fruit of all my efforts on July 2nd 1990 I got selected for the Indian Navy. This opportunity proved to be a boon for me. Getting a Govt. job turned worthwhile in solving half the problems in my life. After joining the Indian Navy, I aimed at joining the submarine Arm for it was the most challenging and the toughest of all and higher allowances was one of the advantages of joining this Arm. I had been fond of challenges since my childhood and above that “an Extra Income” was something that I had always looked forward to, owing to the responsibility of my sisters’ marriage on my shoulders. Having served in the Indian Navy for a tenure of 15yrs, on 31st July 2005 I took a VRS and bid farewell to my service for I had realized the ulterior motive of my life was to promote and guide those like me, those who aspire to join the Indian Armed Forces but lacked proper guidance and this led to the establishment of “Doon Defence Academy”.

31 July 2005 कों 15 वर्षो तक Indian Navy में रह कर देश सेवा करने के उपरान्त मैने VRS लेने का निर्णय लिया। मेरे मन में 2003 के दौरान यह ख्याल आया कि जिस परिस्थितियों से मैं गुजरा हॅू। आज भी हजारो- लाखों नौजवान ऐसे भटक रहे होगें जिन्हें राह दिखाने वाला कोई नहीं है, जिनको भी 12वीं के बाद नौकरी की बेहद सख्त जरूरत होगी। क्योंकि उनके परिवार अपनी आर्थिक हालात के कारण उन्हें आगे की महेगी पढ़ाईयां करवाने के लिये असमर्थ होगें। मेरे मन में ख्याल आने लगे कि मुुझे अब रिटार्यर होकर समाज मे वापस जाना है तथा ऐसे नौजवानों को शिक्षित, प्रेरित तथा उनका मार्ग दर्शन करना है। जिन्हें 12 वीं के बाद जाॅब की बेहद जरूरत है। भारतीय सशस्त्र सेना एवंम मंर्चेट नेवी ही ऐसे एक मात्र विकल्प है, जिसमें 12वंीं के बाद जाॅब की सम्भावनाएं बनती है। अब क्योंकि मेरे पास भारतीय नौसेना का अच्छा खासा अनुभव था और मुझे पूरा विश्वास था कि मैं यह काम बड़ी अच्छी तरह से कर सकता हॅू। अतः मैनें 31 July 2005 को Pension साथ नौसेना को अलविदा कहा। और 15 दिनों के भीतर ही 15 August 2005 को मैनें देहरादून में “Doon Defence Academy” की स्थापना की। यहाॅं पर मैं भारतीय नौसेना के बाद अपनी पत्नि Smt. Divya Aswal Gupta को इसका पूरा श्रेय देना चाहता हॅू। उस वक्त मेरी उम्र मात्र 32 वर्ष की थी, आप सोचिये जो व्यक्ति उस उम्र में एक छोटे से बच्चे का पिता भी है, एक सरकारी नौकरी छोड़ रहा है, न ज्यादा पैसा न घर, न जमीन-जायदाद उसकी मनोदशा क्या रही होगी। यह मेरी पत्नी ही थी जिसने इस निर्णय में मेरा पूरा साथ दिया। मेरी पत्नी एक पढी-लिखी समझदार लड़की थी, जो हमारी शादी से पहले Rashtriya Indian Military College – RIMC, Dehradun में Job करती थी। RIMC पूरे भारतवर्ष में एकमात्र संस्थान है जिसमें एक राज्य से मात्र 01 या 02 सीटें होती है। मेरी wife, Smt. Divya Aswal Gupta, ऐसे प्रतिष्ठित संस्थान में Senior Faculty थी। RIMC के 99% बच्चे 12वंी के बाद NDA में जाते है। अतः मैं कह सकता हॅू कि DDA की स्थापना में जहां Indian Navy का Experience का सबसे बड़ा रोल था, वहीं मेरी धर्मपत्नि का सबसे बड़ा support भी था।

अतः वर्ष 2005 में स्वतन्त्रता दिवस के दिन और आज 15 अगस्त 2020 को इसके 15 साल पूरे हो गये है। मेरे Indian Navy के experience, हमारा कुशल स्टाॅफ, हमारी बेहतर faculties, अच्छी पाठ्य सामग्री, बैजोड़ Infrastructure, विद्यार्थीयों का DDA पर अटूट विश्वास और उनकी मेहनत, उनके माता-पिता का अटूट विश्वास तथा ऊपरवाले की असीम कृपा के कारण पिछले 15 वर्षो में DDA ने लगभग 8500 से ज्यादा Indian Armed Forces and Merchant Navy में सभी Ranks के selections दिये। आज शायद ही कोई ऐसा जहाज, रैजीमेंट, Airbase, Training base, Establishment या ऐसी Shipping Companies होगी जिसमें Doon Defence Academy के students न हो। आज लगभग सभी जगहों पर DDA के Ex. Students अच्छे-अच्छे पदों पर कार्यरत है और देश की सेवा कर रहे है। तथा एक अच्छा जीवन व्यतीत कर रहे हैं। इनमें से तो काफी बच्चे जो शुरू – शुरू में Indian Navy join किये थे। आज pension के साथ रिटायरमेंट की तरफ भी बढ़ रहे है। अतः DDA का एक लम्बा गौरवशाली इतिहास है।


अतः 15 वर्षोे में DDA ने सफलता के सभी मापदड़ों को छुआ है। आज DDA के छात्र Submariner है, Fighter Pilot है, Major / Lt. Col. / Sq. Leader / Commander / Chief Officer / Captain / Chief Engineers व सभी अन्य Ranks पर अपनी-अपनी क्षमताओं के अनुसार देश सेवा में तत्पर है। यही DDA का सबसे बड़ा Achievement है। पिछले 15 वर्षो में DDA ने सैकड़ों पुरस्कार जीते है जो न केवल शिक्षा के क्षेत्र से सम्बन्धित है बल्कि अपने अच्छे सामाजिक कार्यो के बदोलत प्राप्त किये है।


As I have already told you about me and my institute it gives me great pleasure in sharing with you the dream of my life –‘‘प्रथम पग – First Step”. That in reality what my vision and mission is, behind such an initiative, who all can benefit from it, how one is supposed to enroll oneself for the same and lastly about its benefits. So let us no talk about the‘‘प्रथम पग – First Step” in details.


जिस तरह की परिस्थितयां मेरे साथ, मेरे बचपन में रही, मुझे पता है आज भी हजारों-लाखों ऐसे नौजवान बच्चे है, जो किसी तरह 12वीं तक की पढाई कर लेते है परन्तु उसके बाद उनके माता-पिता उनको आगे की महंगी-महंगी पढाई करवाने में आर्थिक रूप से सक्षम नहीं है। बहुत सारे ऐसे बच्चे है वह आगे पढना चाहते है, परन्तु घरों की आर्थिक स्थिति कमजोर होनें के कारण कोचिंग लेने में असमर्थ है, और हजारों लाखों बच्चें ऐसे भी है जो पैसों की कमी के कारण अपनी 10वीं/12वीं की पढाई भी ठीक से नही कर पा रहे है। मेरे इस सपने ‘‘प्रथम पग – First Step का vision है सबसे पहले ऐसे बच्चों की 10जी एवंम 12जी Boards की online free coaching करायी जाये, जिसमें उनके सभी विषय शामिल है, ताकि उनका base मजबूत हो सके। हम पहले चरण में उनको 10जी एवंम 12जी की FREE ONLINE COACHING देंगे। हम उनको 10वीं एवम 12वीं की Online Coaching के साथ-साथ उन्हें Spoken English, Personality Development, अच्छे संस्कारों, General Studies इत्यादि की भी FREE ONLINE CLASSES उपलब्ध करायेगें, ताकि वह 10वी एवंम 12वी के board exams में न केवल अच्छे अंक प्राप्त कर सकें, बल्कि उनका base भी strong हो, ताकि 12वीं केे बाद वह Indian Armed Forces, Merchant Navy, Police, Bank, SSC, Para Military Forces सभी ऐसी जगह जाॅब की try कर सके। जहां 12वीं के बाद vacancy निकलती है। अतः हमारा vision पहले अनकी school की 10th / 12th की अच्छी Education के साथ-साथ job की preparation कराना है। ताकि 12वी करते ही वह कहीं न कहीं निकल जाये एवम उन्हें 12वीं के वेस पर जाॅब मिल जाये। ऐसे बच्चों को अगर 12वीं के बाद जाॅब मिल जायेगी, तो जैसे मुझे 12वीं के वेस पर उस वक्त जाॅब की बेहद आवश्यकता थी और 12वीं के बाद Indian Navy की Job मेरे लिये वरदान साबित हुई और उसके बाद मेरी पूरी जिन्दगी बदल गयी और आज में आपके सामने हॅू। मैं वही सोचता हॅू अगर उस वक्त मुझे 12वीं के बाद सरकारी जाॅब नहीं मिली होती तो आज मेरा क्या होता …….. शायद कुछ नहीं ………..




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